सिन्धु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता
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सिन्धु घाटी सभ्यता भारत की पहली नगरीय सभ्यता थी। इसकी खुदाई में प्राप्त हुए अवशेषों से पता चलता है कि सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों की सोच अत्यंत विकसित थी। उन्होंने पक्के मकानों में रहना आरंभ कर दिया था। चूँकि इस सभ्यता का विकास सिंधु नदी व उसकी सहायक नदियों के आस पास के क्षेत्र में हुआ था, इसीलिए इसे ‘सिन्धु घाटी सभ्यता / सिन्धु सरस्वती सभ्यता का नाम दिया गया है। इस सभ्यता की खुदाई सबसे पहले वर्तमान पाकिस्तान में स्थित ‘हड़प्पा’ नामक स्थल पर हुई थी। अतः इसे ‘हड़प्पा सभ्यता’ भी कहा गया।
भारत और पाकिस्तान में पाया गया सिन्धु घाटी सभ्यता जिसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है, अब तक ज्ञात सभी सभ्यताओं में सबसे प्राचीन है। इसकी खोज 1921 में हुई। इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा के किनारे हुआ। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे
सिन्धु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता का इतिहास
सिन्धु घाटी सभ्यता में मिली मुहर
हड़प्पाई मुहर संभवतः हड़प्पा अथवा सिन्धु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु हैं. सेलखड़ी नामक पत्थर से बने गई इन मुहरो पर सामान्य रूप से जानवरों के चित्र तथा एक ऐसी लिपि के चीन उत्कीर्णत हैं जीने अभी तक पढ़ा नहीं जा सका हैं. फिर भी हमें इस क्षेत्र में उस समय बसे लोगों के जीवन के विषय में उनके द्वारा पीछे छोड़ी गई पुरावस्तुवो- जेसे अनेक आवासों, मर्दभांडो, आभूषणों, ओजरो तथा मुहरो- दुसरे शब्दों में पुरातात्विक साक्ष्यो के माध्यम से बहुत जानकारी मिलती हैं. अब हम देखेंगे की हड़प्पा सभ्यता के बारे में क्या और केसे जानते हैं
सिन्धु घाटी सभ्यता का काल तथा स्थान
सिन्धु घाटी सभ्यता का आरंभ
इस क्षेत्र में विकसित हड़प्पा से पहले भी कई संस्कृतियाँ अस्तित्व में थीं। ये संस्कृतियाँ अपनी विशिष्ट मृदभाण्ड शैली से संबद्ध थीं तथा इनके संदर्भ में हमें कृषि, पशुपालन तथा कुछ शिल्पकारी के साक्ष्य भी मिलते हैं। बस्तियाँ आमतौर पर छोटी होती थीं और इनमें बड़े आकार की संरचनाएँ लगभग न के बराबर थीं। कुछ स्थलों पर बड़े पैमाने पर इलाकों में जलाए जाने के संकेतों से तथा कुछ अन्य स्थलों के त्याग दिए जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि आरंभिक हड़प्पा तथा हड़प्पा सभ्यता के बीच क्रम भंग था ।
सिन्धु घाटी सभ्यता में निर्वाह के तरीके
सिन्धु घाटी सभ्यता में कृषि प्रौद्योगिकी
पुरावस्तुओं की पहचान कैसे की जाती थी सिन्धु घाटी सभ्यता में
मोहनजोदड़ो
एक नियोजित शहरी केंद्र
नालो का निर्माण
हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी विशिष्टताओं में से एक ध्यानपूर्वक नियोजित जल निकास प्रणाली थी। यदि आप निचले शहर के नक्शे को देखें तो आप यह जान पाएँगे कि सड़कों तथा गलियों को लगभग एक ‘ग्रिड’ पद्धति में बनाया गया था और ये एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं। ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नालियों के साथ गलियों को बनाया गया था और फिर उनके अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया था। यदि घरों के गंदे पानी को गलियों की नालियों से जोड़ना था तो प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवश्यक था।
सिन्धु घाटी सभ्यता का निचला दुर्ग
सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व शुरू हुई थी।
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो प्रमुख नगर थे।
वे एक अद्रवण भाषा का उपयोग करते थे, जिसका लेखन पद्धति अभी तक पूरी तरह से समझी नहीं गई है।
इसके पतन के संभावित कारणों में जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ और आक्रमण शामिल हो सकते हैं।
दयाराम सहनी ने सन 1921-1922 में
ग्रिड पद्दति (दो रेखाओ का समकोण पर काटने जैसा +)
चार्ट नमक पत्थर के
मुहरों के निर्माण के लिए